Posted: February 7, 2020
वर्ष 2016 के मध्य से लेकर 2017 तक सशस्त्र संघर्ष के कारण कैसाई क्षेत्र तहस नहस हो गया। नगर सैनिकों का एक विद्रोही समूह कामुइना न्सापु नामक एक पारम्परिक मुखिया के नेतृत्व में केन्द्र सरकार से लड़ने के लिए एकत्रित हो गया। उन्होंने सुरक्षाबलों की चौकियों पर हमला किया और कभी कभी स्कूलों, चर्च भवनों, और अस्पतालों को भी अपना निशाना बनाया।
इस हिंसा के कारण लगभग 5000 लोग मारे गए और 15 लाख लोग बेघर हो गए।
इस परिस्थिति में, सभी कलीसियाएं - और विशेष रूप से मेनोनाइट चर्च - सक्रिय हैं और अपना योगदान दे रहीं हैं। वे एमसीसी के सहयोग से लोगों को बचाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका पूरी कर रहीं हैं।
यह गवाही मसीह में एक बहन के विषय में है जो अपने देश के लोगों की सहायता में जुटी हुई है।
एक सशक्त महिला
अडोलफीन त्शियामा एक मजबूत महिला हैं। उनकी शक्ति उन्हें उनके भीतर से प्राप्त होती है।
पहली नजर में देखने पर, अडोलफीन मेलजोल बनाए रखने वाली महिला के रूप में दिखाई देती है, वे कभी हड़बड़ी में नहीं रहती, और लोगों का हालचाल जानने में पर्याप्त समय देती हैं। परन्तु शीघ्र ही उनकी आँखों की चमक देखकर उनकी दृढ़ता और धुन समझ में आ जाती है।
वर्तमान में एक प्राथमिक शाला की प्राचार्या हैं जिसमें 1400 छात्र और 22 कर्मचारी हैं।
2004 से 2007 के बीच में उनकी कलीसिया में एक भयानक विवाद हुआ और अडोलफीन एक अगुवा बन गईं। वे नियमित रूप से प्रार्थना समूह तैयार करने लगीं ताकि कलीसिया की महिलाएं इस झगड़े के समाप्त हो जाने के लिए प्रार्थना कर सकें।
अडोलफीन दृढ़ विश्वास रखने वाली महिला हैं जो यह कहने से संकोच नहीं करती कि प्रार्थना ही एक विश्वासी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
अडोलफीन को शोक का भी सामना करना पड़ा है। विवाह के 33 वर्ष पश्चात 2011 में उन्होंने अपने पति को खो दिया। मई 2017 में, हिंसा के दौरान, उन्हें यह पता चला कि उनका भाई, उसकी पत्नी, और उसका पुत्र, और साथ ही पुत्र की पत्नी और उनके बच्चे एक शत्रु जाति समूह के द्वारा मार डाले गए। वे बुरी तरह से व्याकुल हो गईं, और अपने मित्रों को खबर भेज उनसे निवेदन किया कि वे उसके साथ प्रार्थना करें।
बेघर लोगों को स्वीकार करने की सेवा
इसके अगले महीने, एमसीसी ने त्शिकापा की कलीसिया से आग्रह किया कि वे हिंसा से बचने के लिए शहर छोड़ कर विस्थापित हुए लोगों की जरुरतों का आकंलन करें। अडोलफीन, जो स्वयं गहरे कष्ट में थीं, दूसरों की सेवा करने के लिए आमंत्रित की गई।
उन्हें असम्भव कार्यों को करने के लिए सामर्थ प्राप्त हुई। वह बेघर हुए बहुत से लोगों के साथ बैठकर रोई, उनकी भयानक कहानियों और अविश्वसनीय दुखों के बारे में सुना। वह उनसे यह कह सकी, “हाँ, मैं जानती हूँ, मैं तुम्हारी बातों पर विश्वास करती हूँ, मैं तुम्हारी पीड़ा को समझ सकती हूँ, क्योंकि ऐसा मेरे साथ भी हुआ है।”
इस आंकलन के आधार पर कैसाई के लोगों के पुनर्स्थापन के लिए एक परियोजना आरम्भ की गई जिसके लिए एक आपातकालीन आर्थिक सहयोग की व्यवस्था की गई। इस आर्थिक सहयोग के द्वारा भोजन और स्कूल की कॉपी-पुस्तकों व गणवेश का प्रबन्ध किया गया, साथ ही अनेक बेघर बपरिवारों की आय के लिए परियोजनाओं का आरम्भ किया गया।
एक दिन, अडोलफीन को एक फोनकॉल आया जिसने उनके जीवन को उलट पुलट कर दिया। उनके भाई की पत्नी, और साथ ही, उनके भतीजे की पत्नी और उनके दो बच्चे एक नगर में जीवित पाए गए जो उस स्थान के पूरब में कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर था जहाँ उनके भाई और भतीजे की हत्या की गई थी। अडोलफीन के लिए यह एक पुनरुत्थान की तरह था। वह आनन्द से भर गईं।
परमेश्वर के प्रेम की चमक
एक बार, 5000 लोगों के मध्य किसी तरह से, अडोलफीन की नजर एक लड़का आया। कांकू न्गालामुलुमे ने अपनी आँखों से अपने माता पिता और भाई बहनों को विद्रोहियों के हाथों मारे जाते हुए देखा था, इसके बाद वह कुछ और लोगों के पीछे पीछे त्शिकापा को भाग गया। वह एक परिवार के साथ अस्थायी रूप से रहने लगा, परन्तु लगातार उसका वजन कम होता गया।
तब अडोलफीन ने यह प्रस्ताव रखाः “मैं इसे अपने साथ अपने घर ले जाऊँगी।” आज कांकू स्कूल जा रहा है, उसे अच्छा भोजन प्राप्त हो रहा है, और वह खुश है क्योंकि प्रभु ने उसे एक नई माता, और एक नया परिवार दिया है।
अडोलफीन पीड़ितों की सेवा करने के द्वारा बुराई के गहरे अंधकार से लड़ते हुए अपनी कलीसिया की सेवा कर रही है। परमेश्वर का प्रेम उसके जीवन से चमकता है, क्योंकि वह निर्बल और विस्थापित लोगों के साथ आशा को बाँट रही है।
—-रॉड होलिंगर जेनसेन, अफ्रीका इन्टर मेनोनाइट मिशन (एआईएमएम) के कार्यपालन समंवयक के द्वारा जारी मेनोनाइट वर्ल्ड काँफ्रेंस विज्ञप्ति
This article is published in the framework of the Francophone Mennonite Network (Réseau mennonite francophone, RMF) and also appears in Le Lien (Quebec) as well as on the website of Mennonite World Conference (www.mwc-cmm.org). Coordination of the publication of articles: Jean-Paul Pelsy.
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