Posted: November 19, 2019
हमारे अगुवों की ओर से संदेश
Like the chambers of a heart, the four MWC commissions serve the global community of Anabaptist-related churches, in the areas of deacons, faith and life, peace, mission. Commissions prepare materials for consideration by the General Council, give guidance and propose resources to member churches, and facilitate MWC-related networks or fellowships working together on matters of common interest and focus. In the following, one of the commissions shares a message from their ministry focus.
उत्पत्ति 1-11 को सम्पूर्ण इब्रानी और मसीही पवित्रशास्त्र की भूमिका माना जाता है। फलने फूलने और सारी पृथ्वी में भर जाने के मनुष्य के लिए परमेश्वर का उद्देश्य इस भूमिका का केन्द्रीय विषय है।
“फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो” (उत्प. 1ः28)। यही अभिप्राय उत्पत्ति 8ः15-17; 9ः1; 9ः7 में भी दोहराया गया है। उत्पत्ति 10, जिसे “जातियों की तालिका” नाम दिया गया है, में भी यह विचार पाया जाता है। यह नूह के वंश में से उत्पन्न संस्कृतियों और जातियों की विविधता का एक उत्सव है (उत्प. 10ः5, 20, 31)।
संस्कृति और जातियों समेत सृष्टि की विविधता का यह उत्सव सृष्टि की रचना के अन्त में परमेश्वर की उस उत्सवमय घोषणा का दर्पण है जब उसने कहा, “बहुत ही अच्छा है” (उत्पत्ति 1ः31)।
इस चार्ट को डॉ. बेटसी ग्लेनविले, फुलर थियोलॉजिकल सेमनरी के द्वारा तैयार किया गया था। |
यही विविधता एक बाधा भी बन सकती है।
संस्कृति का अर्थ है कि संसार को लोग किस प्रकार से समझते हैं। शेरवुड लिंगेन फिल्टर कहते हैं कि, यह “मनुष्य के द्वारा सृजित और दूषित की गई है। संस्कृति आचरण सम्बन्धी अपने नियम, मापदण्ड, और अनुमोदन के माध्यम से सामाजिक नियंत्रण कायम रखने का प्रयास करती है, और इस प्रकार से यह कुछ पापमय और विकृत आचरणों पर लगाम लगाती है। तौभी संस्कृति के नियम परमेश्वर के स्वाभाविक ज्ञान को परिलक्षित करते हैं” (रोमि. 2ः14-15) जो पाप को सामने लाने का काम करते हैं बजाए कि लोगों की धार्मिकता को सामने लाने के।”
संस्कृति के चश्में से, हम संसार को देखते हैं।
मानवशास्त्र के विद्वान पॉल हेयबर्ट वर्ल्ड व्यू (संसार के प्रति किसी की धारणा या समझ) की परिभाषा देते हुए कहते हैं कि यह “आधारभूत बोधात्मक, प्रभावी, और मूल्यांकनात्मक धारणाएं और संरचनाएं हैं जिन्हें लोग वास्तविकता के स्वरूप के बारे में विकसित करते हैं ताकि अपने जीवनों को व्यवस्थित रखें।” वे आगे लिखते हैं, “पराया और परायापन की बाइबल आधारित संसार के प्रति समझ इस बात की पुष्टि करती है कि सभी मानव एक हैं . . .। कोई भी पराया नहीं है - सभी सिर्फ हम/अपने हैं . . . हम एक ही मानवजाति हैं।”
मिशन में परमेश्वर के लोगों के रूप में इस संसार में, हमें एक दूसरे के साथ अध्ययन करने, समझने, और रिश्तों का निर्माण करने के लिए समय निकालना आवश्यक है ताकि हम आपसी समझ विकसित कर सकें और अन्तरसांस्कृतिक बाधाओं को सफलतापूर्वक पार करते हुए परमेश्वर के मेलमिलाप और शालोम के सुसमाचार को अपने जीवनों में लागू कर सकें।
मेनोनाइट वर्ल्ड काँफ्रेंस के मिशन कमीशन के द्वारा ग्लोबल ऐनाबैपटिस्ट सर्विस नेटवर्क (जीएएसएन) और ग्लोबल मिशन नेटवर्क (जीएमएफ) को साथ लाया गया है कि ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की जा सके और वैश्विक गवाही और सेवा के अवसर उपलब्ध कराए जा सके।
ऐसा करने के द्वारा, हम यीशु मसीह का अनुकरण करते हैं और उसकी आज्ञा का पालन करते हुए कदम उठाते हैं जिसने अपनी सेवकाई में अनेक सांस्कृतिक बाधाओं को पार किया था जैसा कि नीचे (चित्र 1) में दर्शाया गया है। इसके चरम के रूप में उसने अपने चेलों को यह आदेश दिया कि वे भी उसी तरह से जाएं जिस तरह से पिता ने उसे भेजा है (यूहन्ना 20ः20)।
सांस्कृतिक बाधाओं को पार करने एक तरीका, जो मुझे प्रभावी जान पड़ा है, यह है कि हमें अलग संस्कृतियों के लोगों के साथ मिलकर भोजन करना चाहिए। किन्तु, अन्तरसांस्कृतिक मिशन में, एक दूसरे के साथ अर्थपूर्ण रीति से भोजन करने के लिए, उन दबादबा वाली संस्कृतियों के लोगों को जो मेजबान धर्मविज्ञान (धन, ताकत, और विशेषाधिकार पर आधारित) से हट कर एक पाहुन धर्मविज्ञान (मिशन के लाभार्थियों/जरूरतमंदों का धर्मविज्ञान) को विकसित करना सीखना चाहिए। ऐसा करने में, हम एक ऐसे मिशन को बढ़ावा दे सकते हैं जिसका एक सुलझा हुआ दृष्टिकोण है, बजाए कि एक ऐसे मिशन के जो आधुनिक मिशन आन्दोलन के 200 से भी अधिक वर्षों से अन्तरसांस्कृतिक मिशनों का मापदण्ड बना हुआ है।
21वी शताब्दी के अन्तरसांस्कृतिक मिशनों की पुनर्कल्पना में इस प्रकार की जातीयता, ताकत, नैतिकता, सिद्धान्त, नेतृत्व, रक्त सम्बन्ध, विरासत, रीतिविधि इत्यादि रूपी बाधाओं को पार करने के पहुलओं पर चर्चा शामिल है। अपने 72 वैश्विक साझेदारों के माध्यम से, ग्लोबल मिशन फैलोशिप इस प्रकार के वार्तालापों को बढ़ावा देने के लिए तैयार है।
अभ्यासः
1. आपकी गृह संस्कृति कहाँ है?
2. आपको किन बाधाओं को पार करने की आवश्यकता है?
3. आपकी अन्तरसांस्कृतिक सेवा में किस प्रकार से जीएमएफ आपके लिए संसाधनों का प्रबन्ध कर सकता है?
- नेलसन ओकन्या, सभापति ग्लोबल मिशन फैलोशिप, सदस्य मिशन कमीशन के द्वारा जारी एक एमडब्ल्यूसी विज्ञप्ति
अग्रेंजी में प्रयोग में लाए गए स्त्रोतः
हेयबर्ट, पॉल जी. 2008. ट्रांसफार्मिग वर्ल्डव्यूज़ः एन आत्रोपोलोजिकल व्यू ऑफ हाव पीपल चेंज, ग्रैण्ड रेपिड्स, मिक. बेकर एकेडेमिक। http://catdir.loc.gov/catdir/toc/ecip085/2007048743.html
--- 2009. द गॉस्पल इन हृमन काँटेक्सट्ः ऐत्रोपॉलॉजिकल कल्चरः ए चलैंज फॉर क्रिश्चन मिशन. ग्रैण्ड रेपिड्स, एमआईः बेकर एकेडेमिक।
लिंगन फेल्टर, शेरवुड जी. 1998. ट्रांसफार्मिंग कल्चरः ए चैलेंज़ फॉर क्रिश्चन मिशन. ग्रैण्ड रेपिड्स, मिशिगनः बेकर्स बुक्स।
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