Posted: March 11, 2020
वर्ष 2019 के अन्तिम दिन, मंगलवार, 31 दिसम्बर को सैंगमीन ली ने मुझे फोन कर बड़े उत्साह के साथ यह खबर दी कि उन्हें सरकार की ओर से माफी मिल गई है।
2014 के आरम्भ में, ली को 18 महीनों तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई थी, क्योंकि उन्होंने अपने विश्वास के कारण, सरकार के इस नियम का पालन करने से इंकार कर दिया था कि देश के प्रत्येक नागरिक के समान ही उन्हें भी सेना में एक निश्चित अवधि तक सेवाएं देना अनिवार्य है।
यद्यपि 15 महीनों की सजा के बाद ली को 30 जुलाई, 2015 को रिहा कर दिया गया था, परन्तु सैन्य सेवाओं को पूरा करने से इंकार करने के उन पर लग चुकेअपराधिक प्रकरण के कारण अनेक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और सरकारी संस्थानों में नौकरी प्राप्त कर पाना उनके लिए असम्भव हो गया था।
यद्यपि वर्ष के अन्त में मैंने 5,174 लोगों को विशेष रूप से क्षमा किए जाने का समाचार सुना था, परन्तु मैंने यह कल्पना नहीं किया था कि ली भी उन 1,879 काँशियस आब्जेक्टरों (सेना में अनिवार्य रूप से सेवाएं देने के सरकारी आदेश का पालन करने से इंकार कर देना वाला) में से एक होंगे जिन्हें इस समय विशेष माफी प्राप्त हुई थी। इस निर्णय का आधार 2018 में न्यायालय के द्वारा दी गई व्यवस्था थी जिसे काँशियंस आब्जेक्टरों द्वारा दशकों से बार बार किए जा रहे इस निवेदन को ध्यान में रख कर किया गया था कि उनसे सेना में काम करने के बदले और कोई दूसरा विकल्प दिया जाए।
27 दिसम्बर 2019 को, नेशनल असेम्बली ऑफ रिपब्लिक ऑफ कोरिया में अन्ततः यह बिल पारित कर दिया गया जिसमें काँशियस आबजेक्टरों को सेना के बदले 36 माह के लिए कहीं और सेवाएं देने की अनुमति दे दी गई। अब तक, देश के सभी युवाओं को 21 महीनों तक सेना में या 23 या 24 महीनों तक नेवी या एयरफोर्स में सेवाएं देना अनिवार्य था।
अब कम से कम, काँशियंस आब्जेक्टर के लिए रिपब्लिक ऑफ कोरिया में एक वैकल्पिक सेवा उपलब्ध हो गई है।
किन्तु, यह विकल्प एक विकल्प की बजाए एक सजा अधिक प्रतीत होता है। दिसम्बर 2019 में, रक्षा मंत्रालय (विधि मंत्रालय नहीं) ने एक संशोधित बिल की घोषणा की। इस बिल के अनुसार, काँशियंस ऑबेजेक्टरों को 36 महीनों तक सुधार केन्द्र में कार्य करने का विकल्प होगा। उन्हें सुधार केन्द्र के भीतर रहना होगा, और वे वहाँ से कहीं नहीं जा सकते। रक्षा मंत्रालय उनकी निगरानी करेगा।
अन्य काँशियंस आब्जेक्टरों के समान सैंगमीन ली ने अपने विश्वास और अपने विवेक को प्राथमिकता देते हुए बन्दी के रूप में अपना समय पूरा किया। उन्हें मिली जेल की सजा और “36 महीने सुधार केन्द्र में बिताने” के बीच में क्या अन्तर है - सिवाय एक बढ़ी हुई अवधि के?
यह खुशी की बात है कि सैंगमीन ली को अन्य 1800 से अधिक लोगों के साथ अन्ततः कोरियाई समाज में पुनः पूर्ण दर्जा दे दिया गया है। यह दुख की बात है, कि अब काँशियंस आब्जेक्टरों को एक बड़े जेल में अधिक लम्बी अवधि तक रहने के लिए स्वयं को तैयार करना पड़ेगा। उन्हें सच्ची राजक्षमा कब प्राप्त होगी?
वेक की आवाज सुनकर हिंसा का इंकार करने वाले लोगों के लिए प्रार्थना करें। उन्हें सच्ची राजक्षमा या विशेष माफी मिले।
- सियोग हान किम एमसीसी नार्थइस्ट एशिया पीस एजुकेटर हैं जो दक्षिण कोरिया के गोंगवोन-डो में निवास करते हैं। मेनोनाइट वर्ल्ड काँफ्रेंस की यह विज्ञप्ति का प्रकाशन पहली बार बियरिंग विटनेस स्टोरिज़ प्रोजक्ट में किया गया। https://martyrstories.org/
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